गुरुवार, 12 नवंबर 2009

ब्लूलाइन






दिल्ली की सड़कों पर लहराते हुए,



रुकते हुए, रुकते-रुकते चलते हुए,



ये आगे बढती है।



लोगआंखों में ख्वाब सजाकर आगे बढ़ते हैं,



ये ख्वाबों से भी दो कदम आगे बढती है,



लोगों पर चढ़ती है।



लक्ष्मण ने एक रेखा खिंची थी,



सीता को बचाने के लिए,



ये लाइन है लोगों को लाने के लिए,



ले जाने के लिए'



और कभी-कभी राम से मिलाने के लिए,



क्योंकि......



जो जान बचाने के लिए थी,



लक्ष्मण लाइन थी।



ये जान लेती है,



ये ब्लू लाइन है।






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