बुधवार, 11 नवंबर 2009

बीते पल



कुछ तो बात थी उन राहों की
कुछ तो साथ थी उन बाँहों की
कुछ तो महक थी उन सासों की
आज भी चले आते हैं याद उन दिनों की
किसी के चाहत में ख़ुद को भुलाना
कुछ उसकी सुनना, कुछ अपनी सुनाना
कैसे भुला दें हम वो बिता हुआ जमाना
बहुत मुश्किल है उन यादों को मिटाना
एक चाहत थी उन रातों में
एक जादू था उन बातो में
एक सपना था उन आखों में
संजोय रखें हैं उन पलों को दिल में
आज के साथ से , रोज की बात से
कुछ रुके हुए पल से, ख्वाबों की दुनिया से
एक कसक सी होती है दिल में उन
बीते पलों की यादों से


मुरलीधर............

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