रविवार, 1 नवंबर 2009

अब और कितने दिन.....

सीढियों के किनारे जब सूनापन दिखता है , तब अचानक से मन में सिहरन सी उठ आती है । एक ऐसा एहसास जिसे शब्दों में बयां करना शायद मेरे लिए संभव नही। हर गुजरता हुआ पल खुबसूरत होते हुए हमे कुछ ऐसे अनमोल यादें देता जा रहा है जिसे संभाल कर रखने का दिल करता है। --अमित

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