ये हरे-भरे पेड़ ,
हरे हैं इसलिए,
क्योंकि हर साल,
ये अपने पुराने पत्ते गिरा देते हैं,
और जो नही गिरा पाते,
वो ठूंठ बनकर रह जाते हैं।
मनुष्य भी अक्सर प्रेम करता है,
पुरानी चीज़ों से,
भई कुछ तो नया लो,
हो सकता है शुरुआत,
न हो उतनी अच्छी
पर एक दिन बात बनती ही है,
वरना शेष बचता है,
मनुष्य के जीवन में भी,
सिर्फ़ ठूंठ............
क्या बात है भाई आप तो झरनों की गति से लेखन की दुनिया में आगे जा रहे हैं
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा इस कृति को पढ़कर