बुधवार, 30 मार्च 2011

जाने कैसी आग थी जिसमें ये जले हैं।


कुछ लोग कल यहीं घुट-घुट के मरे हैं।



घट रही है तेजी से किसानों की तादाद,

शायद ये लोग कुछ ज्यादा ही बुरे हैं।



संसद से अभी कैसी ये आवाज है आयी,

क्या इस महफिल में सभी बेसुरे हैं?



उम्मीद न करिए कि चूँ भी यहाँ होगी,

सब लोग यहाँ पर सहमे हैं डरे हैं।



ये तस्वीर यकीनन हिन्दुस्तान की ही है,

क्योंकि इसकी आँखों में आँसू भरे हैं।

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