जिन्दगी भी साला क्या कमाल चीज है।
हँसाती है, रुलाती है, फिर भी अजीज है।
कितनी अजीब है मोहोब्बत की दास्तान,
जिन्दा है वही यहाँ जो दिल का मरीज है।
मारा है जो मैने कीचड़ में कभी पत्थर,
पड़े हैं छीटें जिसपे वो मेरी ही कमीज है।
अपनों से कितना दूर घसीट लाया मुझको,
वक्त भी मेरे यारों बहुत ही बदतमीज है।
हँसाती है, रुलाती है, फिर भी अजीज है।
कितनी अजीब है मोहोब्बत की दास्तान,
जिन्दा है वही यहाँ जो दिल का मरीज है।
मारा है जो मैने कीचड़ में कभी पत्थर,
पड़े हैं छीटें जिसपे वो मेरी ही कमीज है।
अपनों से कितना दूर घसीट लाया मुझको,
वक्त भी मेरे यारों बहुत ही बदतमीज है।
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