निगाहें बहुत देर एक मंज़र पे ठहरी रही,
पलके जो झपकी ज़रा सी वो मंज़र कहीं नहीं,
कौन कहता है जो चाहो वो तुम्हे मिल जाएगा,
हसीं लम्हा ये ज़िन्दगी का सभी को मयस्सर नहीं.
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंहिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.