गुरुवार, 18 मार्च 2010

ये जिंदगी...

जिंदगी ने गम के सिवा और क्या दिया?
एक दिल दिया और वो भी तनहा दिया।

मुद्दतें बीत गयी थीं तुझे देखे ख़ुशी,
तुमने यूँ अचानक आकर चौंका दिया।

किससे करूँ शिकायत बर्बाद होने पर,
हमने ही तो कातिलों को मौका दिया।

चारों तरफ तो मेरे दोस्तों की भीड़ थी,
फिर कौन था वो जिसने मुझे धोखा दिया?


शिकवा कीजियेगा कि बेवफा हूँ मैं,
अदाएं थीं आपकी, जिनको लौटा दिया।


अफ़सोस कर 'विनीत' किस्मत का खेल है,
लेते चलो जिन्दगी ने तुम्हे जितना दिया.

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