गुरुवार, 12 मई 2011

सुनना कभी तुम भी....

कभी खामोशियों को सुनना,


वो सब कह देंगी,

जो कभी मैं,

तुमसे न कह पाया।

तुम्हारी एक झलक के लिए,

सदियों के इन्तजार की,

चश्मदीद गवाह हैं ये।

तुम्हें रूबरू देखकर,

जब-2 ये दिल धड़का है,

दिल की हर धड़कन को,

तब-2,

इन खामोशियों ने,

बहुत गौर से सुना है।

बहुत मुश्किल है मेरे लिए,

तुमसे कुछ भी कहने को,

शब्दों को चुनना।

इसीलिए,

कभी खामोशियों को सुनना।

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