अभी हवा मुझे छूकर गयी,
एक खुशबु-सी थी उसमें,
जानी-पहचानी सी,
सच बताओ!
तुम यहीं कहीं,
...पास में ही हो न,
अभी भी वही शरारतें,
क्यों करती हो ऐसा?
अब तो मेरे सामने,
मेरे यार आ जाओ.
बात नेरी मानो,
एक बार आ जाओ.
एक खुशबु-सी थी उसमें,
जानी-पहचानी सी,
सच बताओ!
तुम यहीं कहीं,
...पास में ही हो न,
अभी भी वही शरारतें,
क्यों करती हो ऐसा?
अब तो मेरे सामने,
मेरे यार आ जाओ.
बात नेरी मानो,
एक बार आ जाओ.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें