कल हम लोग आकांक्षा के घर पर थे। एक आखिरी पार्टी के लिए जो हम लोग , हम सब लोग साथ मिलकर मनाने वाले थे। काफी अच्छा लगा वहां जाकर। अब तो बनारस का काफी कुछ याद आएगा। अस्सी घाट, कशी हिन्दू विश्वविद्यालय, बिरला हॉस्टल और आकांक्षा का घर भी। पहली बार यहाँ मैं किसी दोस्त के घर गया था। वहाँ मुझे महसूस ही नहीं हुआ कि मैं कहीं किसी और के घर आया हूँ। एकदम पारिवारिक माहौल था। वहाँ हम लोगों ने डांस (इस चीज में मैं काफी कमजोर हूँ) किया, खूब एन्जॉय किया। उसके बाद सभी लोगों ने साथ मिलकर खाना खाया। बहुत ही अच्छा लगा यह सब देखकर। आकांक्षा तो एकदम परेशान थी कि किसको कितना खिला दें। ये लड़की वहाँ भी परेशान थी। आंटी और अंकल दोनों लोग बहुत ही प्यार से मिले। और हाँ, आकांक्षा का छोटा भाई मानु, उसको तो शायद ही कभी भूल पाऊं। स्मार्ट बन्दा है। कुल मिलाकर बस यही कहना है कि कल, १ मई २०१० का दिन काफी यादगार गुजरा। आकांक्षा, हम आपको बनारस कि खूबसूरत यादों में एक और हसीं दिन जोड़ने के लिए शुक्रिया कहते है। आपका ये दोस्त आपकी सफलता के लिए हमेशा दुआ करेगा।
धन्यवाद
thnx vineet! achcha laga yaar ki tum sabko itna achcha laga...
जवाब देंहटाएंkaahaan gaye doston? ab kab aaoge sab yahaan? :-(
जवाब देंहटाएं:-(
जवाब देंहटाएंmissing u frnz a lot... i know ye beete pal ab kabhi nahi aayenge...