मंगलवार, 17 जनवरी 2012

जरा संभलकर

बेशक करो सवाल मगर जरा संभलकर।
अभी नशे में है सरकार जरा संभलकर।

गर सुर में न रहे तो पंजे में होगी गर्दन,
ये है दिल्ली का दरबार जरा संभलकर।

-विनीत कुमार सिंह

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