कुछ और ही रोशन अब शहर हुआ है।
शायद कोई गरीब फिर बेघर हुआ है।
तुम चीखते चिल्लाते ही रह जाओगे,
हुकूमत पर भी कभी असर हुआ है?
इस सन्नाटे को यारों, गौर से सुनना,
कोई हंगामा यहाँ पर रातभर हुआ है।
चुपचाप गिनती हैं लाशों को सरकारें,
कत्लेआम अखबारों की खबर हुआ है।
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